ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 प्रमुख मंदिरों में से एक हैं। इन मंदिरों में भगवान शिव की शक्ति का उपस्थान होता है जिन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। यह महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भारत के 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान भगवान शिव की ज्योतिस्वरूपता को दर्शाता है। इन ज्योतिर्लिंगों का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक माना जाता है। ये ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं और उनमें से हर एक का अपना अलग महत्व है।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - गुजरात 

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान


सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के प्राचीन स्थलों में से एक है। यह महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव की ज्योतिस्वरूपता को दर्शाता है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम सोम और नाथ के नाम से मिलकर बना है, जो भगवान शिव के अलग-अलग नामों में से हैं।

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का इतिहास बहुत पुराना है। इसका उल्लेख प्राचीन संस्कृत शास्त्रों, जैसे पुराणों, में मिलता है। इसके अनुसार, सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का निर्माण भगवान सोमेश्वर नामक एक देवता द्वारा हुआ था। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का निर्माण लगभग 5000 वर्ष पहले किया गया था और यह भारत के सबसे प्राचीन ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

इस स्थान को भगवान की त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के अभिव्यक्ति के रूप में माना जाता है जहाँ भगवान शिव की अवतारों में से एक वामन ने भी ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। 

सोमनाथ मंदिर का निर्माण पहली बार चावड़ा राजा विखुम्ब द्वारा करवाया गया था। इसके बाद सोमनाथ मंदिर कई बार निर्माण और अनेक बार नष्ट हो गया। यहां अरबी आक्रमणकारी जिहादी संगठनों ने भी अपनी छाप छोड़ी थी। आधुनिक इतिहास में भी सोमनाथ मंदिर का निर्माण कई बार किया गया है और आज यह मंदिर एक प्रसिद्ध पूजा स्थल है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - अंध्र प्रदेश

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान


मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के अंध्र प्रदेश के श्रीशैलम नामक स्थान पर स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के प्रसिद्ध उपासना स्थलों में से एक है जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के अलावा श्रीशैलम स्थान भारतीय इतिहास और संस्कृति के लिए भी महत्वपूर्ण है।

श्रीशैलम स्थान भगवान शिव की तांडव नृत्य के लिए जाना जाता है। यह स्थान पहाड़ी इलाके में स्थित है और प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के संबंध में प्राचीन पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि जब भगवान शिव ने अपनी अद्भुत शक्ति देवी पार्वती के साथ विवाह किया तो इस स्थान पर उनके समापन के उपलक्ष में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई थी।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम के पीछे कई कथाएं हैं। इस ज्योतिर्लिंग का नाम मल्लिकार्जुन प्रसिद्ध अनेक महत्वपूर्ण वृक्षों में से एक सोमवंशी वृक्ष मल्लिका से लिया गया है।

श्रीशैलम का मल्लिकार्जुन मंदिर प्राचीन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर का निर्माण चलुक्य वंश के राजा अरियभट्ट द्वारा किया गया था। इस मंदिर में भगवान शिव के अलावा देवी पार्वती की भी मूर्ति होती है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन नामक स्थान पर स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के प्रसिद्ध उपासना स्थलों में से एक है जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकालेश्वर भी है जो भगवान शिव के भयानक रूप को दर्शाता है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को महत्वपूर्ण बनाने वाले कुछ इतिहासिक और धार्मिक घटनाओं के बारे में जानना बहुत महत्वपूर्ण है। इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकालेश्वर प्रसिद्ध थानेश्वर नामक देवता से लिया गया है।

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर का निर्माण चंदेल वंश के राजा भोज ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में भगवान शिव के अलावा देवी पार्वती की भी मूर्ति होती है। इस मंदिर में भक्तों के लिए अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में कई कथाएं मिलती हैं। इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकालेश्वर प्रसिद्ध महाकाल वृक्ष से लिया गया है, जो मंगलवार के दिनों में यहां उपयोग किया जाता है। इस ज्योतिर्लिंग को अपनी अद्भुत वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व के लिए भारतीय इतिहास और संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के नर्मदा नदी के किनारे नर्मदाकुंड में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के उपासना स्थलों में से एक है जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को मामलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। इस ज्योतिर्लिंग को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसे ओंकार का ध्यान देने के लिए भी जाना जाता है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को अश्वत्थमल्यवर्त शिवलिंग भी कहा जाता है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के मंदिर का निर्माण इतिहास से संबंधित है। यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की प्राचीन धरोहर में से एक है। मंदिर में बने निरंतर धुंआ और दीपकों के साथ यहां अद्भुत आकर्षण होता है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के दरबारगढ़ नामक गांव में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के प्रसिद्ध उपासना स्थलों में से एक है जो भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को अश्वत्थमल्यवर्त शिवलिंग भी कहा जाता है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में कई कथाएं मिलती हैं। इस ज्योतिर्लिंग का नाम ओंकारेश्वर भी है, जो ओंकार नाम के शब्द से लिया गया है, जो ओंकार नामक पहाड़ के आसपास है। ओंकार नामक पहाड़ को सबसे पुराने वनवास के अवधि में शिव ने ध्यान योग से अपनी तपस्या की थी।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था। इस मंदिर की अद्भुत वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व के लिए यह भारतीय इतिहास और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तराखंड

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग हिमालय की श्रृंखला पर स्थित है और मंदाकिनी नदी के तट पर बसा हुआ है। केदारनाथ मंदिर विश्व के प्राचीनतम और महत्वपूर्ण हिंदू धर्मस्थलों में से एक है।

केदारनाथ मंदिर में शिव जी को प्रतिनिधित्व करते हुए शिवलिंग की पूजा की जाती है। इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने किया था। मंदिर का रूप वर्तमान में 19वीं शताब्दी में बनाया गया है। मंदिर का अधिकांश हिस्सा पत्थरों से बना हुआ है और यह अपूर्व सुंदरता का उदाहरण है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की अत्यंत प्रसिद्ध तथा प्राचीन मंदिर था जो कि उत्तराखंड में स्थित है। यहाँ पर सन् 2013 में एक तबाही भी हुई थी जो कि तबाही का सबसे बड़ा घटना था। इस घटना में भगवान केदार के मंदिर का अधिकांश हिस्सा नष्ट हो गया था। यहाँ का मंदिर अब दोबारा बनाया गया है जो कि अपनी सुंदरता और स्थान के कारण खूब लोगों को आकर्षित करता है।

शीर्ष तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग हिमालय की एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है जिसे केदारघटि कहा जाता है। यह स्थान उत्तराखंड राज्य में बद्रीनाथ धाम के पास स्थित है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के इतिहास और महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि यह ज्योतिर्लिंग पांडवों के निर्माणकर्ता थे जिन्होंने इसे महाभारत काल में बनवाया था। इस स्थान को शिव पूर्वकाल से ही तपस्या का स्थान माना जाता है जहां शिवजी ने अपने शरीर को छंटने के बाद भी उनका मस्तक लगा हुआ था।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की खासियत यह है कि यह ज्योतिर्लिंग में पूजा के लिए सबसे ऊँची और मुश्किल से पहुँचने वाली स्थानों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को घने जंगलों, ऊँची पहाड़ियों, घाटियों, नदियों और झीलों को पार करना पड़ता है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आप उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम की यात्रा कर सकते हैं।

यात्रा के लिए आप पहले रुद्रप्रयाग के निकट स्थित जोलीगट या गौरीकुंड के पास आने वाले हेलीकॉप्टर सेवा का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा आप रोड या ट्रेन से भी यात्रा कर सकते हैं।

धाम पहुंचने के बाद आपको केदारनाथ मंदिर तक पैदल जाना होगा जो कि लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह यात्रा तथा दर्शन काफी दुर्लभ और अनुभवनीय होती है।

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान


भीमशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र, भारत में स्थित है और भगवान शिव के पांचवें ज्योतिर्लिंग में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग को पूर्वी घाट के पश्चिमी ढलान पर स्थित भीमाशंकर पर्वत पर स्थापित किया गया है।

इस ज्योतिर्लिंग का नाम उस पर्वत के नाम पर रखा गया है, जो कि महाभारत काल में भीम के द्वारा उसे रखवाया गया था। इस ज्योतिर्लिंग का इतिहास बहुत पुराना है और कहा जाता है कि यह ज्योतिर्लिंग श्री शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था।

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग एक प्राचीन मंदिर है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म के एक महत्वपूर्ण चिह्न के रूप में माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग मुंबई से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और उपन्यासकार पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता भारतीय उपन्यासकार स्वामी विवेकानंद ने भी इस ज्योतिर्लिंग का वर्णन किया था।

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग सड़क, ट्रेन और हवाई मार्ग से आसानी से यात्रा के लिए उपलब्ध है।

वायु मार्ग से:

पुणे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत और दुनिया के कई शहरों से नियमित उड़ान से जुड़ा हुआ है। जब आप पुणे आते हैं, तो आप टैक्सी, बस या अन्य सार्वजनिक परिवहन सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं और अपने मंजिल तक पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग से:

भीमशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पुणे जंक्शन पुणे का मुख्य रेलवे स्टेशन है, जहां से आप मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई जैसे शहरों से ट्रेन से आसानी से पहुंच सकते हैं। भीमाशंकर रेलवे स्टेशन ज्योतिर्लिंग से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर है और यहां से आप टैक्सी या बस का उपयोग कर सकते हैं।

धाम पहुंचने के लिए आपको यात्रा से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना भी आवश्यक होगा। यहां बहुत सर्दी होती है, इसलिए आपको ठंडे कपड़ों, जूते और अन्य आवश्यक वस्तुओं को लेकर जाना चाहिए। इसके अलावा यात्रा के दौरान धार्मिक स्थलों और पूजा विधि का समझना भी महत्वपूर्ण होगा।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - जहानाबाद

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान


भारत के सात जनपदों में से एक जार्गंड के वैद्यनाथ पहाड़ियों में स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग को महादेव ने अपनी विवाहिता पार्वती के लिए स्थापित किया था। इस ज्योतिर्लिंग को पुरातन काल में बाबा भैरवनाथ या बैद्यनाथ के नाम से भी जाना जाता था।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मंदिर पहाड़ के ऊपर एक छोटे से गांव जहानाबाद में स्थित है। यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है। मंदिर शैलद्रुम पर्वत के ऊपर स्थित है और उसका विस्तार 23 एकड़ में होता है। ज्योतिर्लिंग के अतिरिक्त, मंदिर में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के लिए श्रद्धालु लोग पूरे वर्ष दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण महीना श्रावण होता है। श्रावण महीने के दौरान, लाखों श्रद्धालु वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिव की पूजा और अर्चना करते हैं।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पांच ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो जार्गंड, झारखंड में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग पवित्र वैद्यनाथ नामक भगवान शिव के नाम पर जाना जाता है।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग दर्शन करने के लिए सबसे करीबी रेलवे स्टेशन भागलपुर है, जो झारखंड से लगभग 60 किलोमीटर दूर है। भागलपुर से आप टैक्सी, बस या कार की सेवाएं ले सकते हैं। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग स्थल से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर, डुमकरा गांव है, जहां से श्रद्धालु यात्रियों को तोलाराजा मार्केट जाना होता है। वहां से आप वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग तक जाने के लिए पैदल चल सकते हैं या अन्य सार्वजनिक वाहन जैसे टैक्सी या बस का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग दर्शन करने के लिए सबसे अच्छा समय शिवरात्रि होता है, जो हर साल फरवरी या मार्च में मनाई जाती है।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग - तमिलनाडु 

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग फोटो

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में स्थित है और भगवान शिव के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम के नगर पालिका क्षेत्र में स्थित है और हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का नाम उन दो शब्दों से आता है जिनका अर्थ होता है "राम के ईश्वर"। इस ज्योतिर्लिंग का महत्व रामायण में बताया गया है। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने श्रीलंका में रावण से युद्ध किया था। युद्ध के बाद, उन्होंने अपने अनुयायियों को सम्मानित करने के लिए ऋषि अगस्त्य से सलाह ली थी। ऋषि अगस्त्य ने उन्हें इस जगह पर भगवान शिव का दर्शन करने की सलाह दी। इस तरह, भगवान राम ने इस जगह पर भगवान शिव का दर्शन किया था।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का मंदिर भगवान शिव के समरूप बनाया गया है। मंदिर बहुत ही विस्तृत है और उसमें अनेक प्रकार की मूर्तियां हैं।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का इतिहास काफी प्राचीन है। इसका जीर्णोद्धार बहुत बार हुआ है और इसे अलग-अलग समयों में फिर से निर्माण किया गया है। इसके लिए इतिहास में तमिलनाडु के चोल वंश को स्मार्टिक रूप से उल्लेख किया गया है।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व उत्तर और दक्षिण भारत के लोगों के लिए है। श्रद्धालु इस जगह पर अपनी पूजा के बाद रामेश्वर तीर्थ में अपने पुण्य का वितरण करते हैं। इस जगह की खासियत यह है कि यह ज्योतिर्लिंग पश्चिमी और पूर्वी घाटों से घिरा हुआ है और यहां पर एक अनोखी पूजा विधि होती है।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग भारत में तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम नामक स्थान पर स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के समरूपता को दर्शाता है। इस ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने के लिए निम्नलिखित तरीकों का उपयोग किया जा सकता है।

हवाई जहाज़: रामेश्वरम में अपने लिए स्थानीय हवाई अड्डे का उपयोग करने के लिए आसानी से उपलब्ध हैं। बीजेपी हवाई अड्डे से रामेश्वरम का दूरी करीब 21 किलोमीटर है।

रेलगाड़ी: रामेश्वरम रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। रामेश्वरम रेलवे स्टेशन से उपलब्ध रेल सेवाओं के माध्यम से भी आसानी से इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए जा सकते हैं।

बस: रामेश्वरम को बसों के बारे में भी अच्छी तरह से संचालित किया जाता है। इसके लिए आप टैक्सी या ट्रेन से कन्नियाकुमारी तक जा सकते हैं और वहां से बस ले सकते हैं।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - उत्तराखंड

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान


नागेश्वर ज्योतिर्लिंग हिमालय की तलहटी में स्थित है और यह उत्तराखंड के छोटीकाशी जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग का नाम उस स्थान से प्राप्त हुआ है जहां पर भगवान शिव के साथ उनकी भूमिका निभाने वाले नाग देवता थे। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव और पार्वती को समर्पित है।

यह ज्योतिर्लिंग देश के सबसे प्राचीन ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसका निर्माण महाभारत काल में हुआ था और इसे महाशिवरात्रि के दिन यात्रिकों की भीड़ के बीच दर्शने के लिए बहुत प्रसिद्ध है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के आसपास कई मंदिर और आराधना स्थल हैं। ज्योतिर्लिंग के पास एक सुंदर कुंड है, जिसे कुंड दर्शन के नाम से जाना जाता है। यहां बने चौकोर कुंड से लिए जाने वाले जल को पवित्र माना जाता है। इसके अलावा, यहां भगवान शिव की पूजा-अर्चना भी की जाती है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में है और उसके दर्शन के लिए आप दिल्ली से रोड या रेल द्वारा हरिद्वार तक जा सकते हैं। हरिद्वार से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए आप टैक्सी, बस या खुद की गाड़ी का इस्तेमाल कर सकते हैं। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है और उसके दर्शन से लोगों को धन, सुख, समृद्धि और जीवन में सफलता मिलती है। ज्योतिर्लिंग के पास कुछ धार्मिक स्थल भी हैं, जिन्हें दर्शन करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। अपने यात्रा के लिए, आप ठीक से तैयारी करें और सुनिश्चित करें कि आप वहाँ जाने से पहले नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए सही समय का चयन करें।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तर प्रदेश

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान


काशी विश्वनाथ मंदिर भारत में सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है और काशी विश्वनाथ मंदिर अथवा काशीनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है, जिसे 11वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था। इस मंदिर का निर्माण राजा महादेव ने करवाया था और बाद में कई बार इसे नवीनीकरण किया गया है। यह मंदिर काशी विश्वनाथ के अलावा भगवान विष्णु, देवी पार्वती, भगवान गणेश, भगवान सूर्य और भगवान कार्तिकेय को भी समर्पित है।

काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में कहानियां और महत्वपूर्ण घटनाएं बहुत हैं। भगवान शिव के इस मंदिर में ज्योतिर्लिंग स्थापित है जिसे काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी शहर में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है और शिव भक्तों की संख्या इसके दर्शन के लिए वर्षभर में लाखों में होती है।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए वाराणसी शहर जाना होगा। वाराणसी शहर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है और राजधानी लखनऊ से लगभग 320 किलोमीटर की दूरी पर है।

वाराणसी शहर के पास ललिता घाट, दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट जैसे कुछ ऐसे घाट हैं जहां से काशी विश्वनाथ मंदिर आसानी से पहुंचा जा सकता है। काशी विश्वनाथ मंदिर ज्योतिर्लिंग के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जो पुराने शहर के मध्य भाग में स्थित है।

काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय शिवरात्रि होता है जो हर साल फरवरी या मार्च के महीने में मनाया जाता है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान


त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव को समर्पित है और भारत के पांच ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व वेदों में भी उल्लेखित है। इस ज्योतिर्लिंग के स्थान पर प्राचीन त्र्यम्बकेश्वर मंदिर स्थित है जो महाराष्ट्र के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। इस मंदिर में शिवलिंग के अलावा भक्तों के लिए अन्य भगवानों की मूर्तियों भी हैं।

त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के समीप रहते दुस्सेहरा टालाव प्राकृतिक खूबसूरती से भरा हुआ है। यह टालाव त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के प्राचीन जलाशयों में से एक है जो मंदिर के पूजारियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।

त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के पास एक दुर्ग भी है जो मराठा साम्राज्य के समय में बनाया गया था। इस दुर्ग से आप आसमानी दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पांच ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग को त्र्यम्बकेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

त्र्यम्बकेश्वर मंदिर उत्तर महाराष्ट्र में स्थित होने के कारण यहां पहुंचने के लिए नासिक सबसे निकटवर्ती शहर है। नासिक शहर से त्र्यम्बकेश्वर मंदिर का दूरी लगभग 30 किलोमीटर है।

नासिक शहर से त्र्यम्बकेश्वर जाने के लिए विभिन्न विधियां उपलब्ध हैं। नासिक से आप टैक्सी या बस का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप अपनी गाड़ी भी ले सकते हैं। नासिक से टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं जो आमतौर पर मंदिर के लिए जाती हैं। नासिक से बसें भी त्र्यम्बकेश्वर जाने के लिए उपलब्ध हैं।

त्र्यम्बकेश्वर मंदिर अपनी स्थानीय विशेषता के लिए जाना जाता है। यह मंदिर शैव पंथ के श्रद्धालुओं के बीच बहुत लोकप्रिय है।

गृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र

12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान


भारत वर्ष में स्थित महाराष्ट्र राज्य में गृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का एक प्रसिद्ध तीर्थस्थान है जिसे महाराष्ट्र में दो अन्य ज्योतिर्लिंगों, भीमशंकर और त्र्यम्बकेश्वर के साथ शिवलिंगों की त्रिमूर्ति कहा जाता है।

गृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास बहुत पुराना है जिसका जिक्र पुराणों में भी किया गया है। इस ज्योतिर्लिंग की भव्यता और प्राचीनता से युक्त इसकी आराधना करने वाले श्रद्धालु आज भी आते हैं। इस ज्योतिर्लिंग का नाम "गृष्णेश्वर" स्थानीय शब्द "गिरिश्नेश्वर" से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है "पर्वत के राजा"।

गृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के महत्वपूर्ण भव्य मंदिर का निर्माण मराठा शासकों द्वारा किया गया था। मंदिर तीन मुख्य भागों में विभाजित होता है - गर्भगृह, अंतराल और मुखमंडप।

गृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के एक प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग शिव परमात्मा की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। इसका महत्व महाभारत काल से है, जब यहां भगवान शिव के लिए एक मंदिर बनाया गया था।

गृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए, सबसे निकटवर्ती शहर अूरंगाबाद है। अूरंगाबाद रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी या बस का उपयोग करके गृष्णेश्वर मंदिर तक जा सकते हैं। मंदिर शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है।

गृष्णेश्वर मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था। मंदिर ज्योतिर्लिंग जो शिव के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। यहां शिवलिंग को गृष्णेश्वर नाम से जाना जाता है। मंदिर नवीनीकृत है और उच्च विकास की तकनीकों का उपयोग करके बनाया गया है।

गृष्णेश्वर मंदिर में कुछ पूजाएं और अर्चना हैं जो यहां की यात्री अवश्य करते हैं।


ज्योतिर्लिंग के बारे में निष्कर्ष

ज्योतिर्लिंग हिंदू धर्म में एक प्रमुख शिव मंदिर के प्रतीक होते हैं। इन्हें शिवलिंग के रूप में भी जाना जाता है। ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कई कहानियां और मान्यताएं हैं, जो शिवभक्तों को उनके धर्म संबंधी आस्था के प्रति और उनके धर्म के विभिन्न पहलुओं के प्रति जागरूक करती हैं।

ज्योतिर्लिंग के मुख्यतः बारह (12) रूप होते हैं। ये बारह ज्योतिर्लिंग भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं और यह भी माना जाता है कि इनमें से प्रत्येक को देवों का एक अलग अलग रूप माना जाता है। ये ज्योतिर्लिंग हैं:
  1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - गुजरात
  2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - अंध्र प्रदेश
  3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश
  4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग - मध्य प्रदेश
  5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तराखंड
  6. भीमशंकर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र
  7. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - जहानाबाद, जार्गंड
  8. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग - तमिलनाडु
  9. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - उत्तराखंड
  10. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - उत्तर प्रदेश
  11. त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र
  12. गृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग - महाराष्ट्र

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